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Tuesday 16 January 2018

सतीश चोपड़ा
अध्यक्ष
एकता विकास मंच
पिछले कुछ वर्षों मे बलत्कार पीड़ित महिलाओं ने बलत्कार को छुपाने की जगह रिपोर्ट करवाना शुरू किया है जो एक अच्छा बदलाव है .
दोषी महिला नहीं पुरुष है यह सोच विकसित हो रही हैं आज पीड़ित महिला मुह नही छुपाती बल्कि दोषी को मुह छुपाने पर मजबूर करती है ।
समाज को भी जबरन शील भंग ( बलत्कार )को दुर्घटना की तरह ट्रीट करना चाहिए व पीड़ित को अछूत नही मानना चाहिए व पीड़ित को अपनाने के लिये आगे आना चाहिए ।
बहिष्कार दोषी का होना चाहिए न कि पीड़िता का धीरे धीरे बदलाव हो रहा है लोगो की सोच मे ।
बलत्कार के बाद समाज का उपेक्षित व्यवहार महिला को तोड़ता है पीड़ित को दोषी मानने की प्रवित्ति बदलिए ओर बदलने मे सहायता कीजिए .
लड़कियों की तरह लड़को की नैतिक शिक्षा पर ध्यान दीजिए और लड़कों की हरकतों पर भी नजर रखिए बंदिशे लड़को पर भी रखे  यह सोच बदलिए की लड़का है इतना तो चलता है ।
अक्सर देखने मे आता है कि बल्तकारी की आत्मरक्षा मै उनके घर के लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं गलत का साथ कभी मत दीजिए चाहे वो अपना ही क्यों न हो तभी अपराध रुकेंगे बल्तकारी या किसी भी अपराधी का साथ देते वक्त यह जरूर सोचिए कि पीड़ित की जगह आप होते तो आप क्या करते दुसरो के साथ वही व्यवहार कीजिए जैसा आप चाहते हैं दुनिया आपके साथ करे ।

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