अक्सर औ बेश्तर मुख्तलिफ ज़राये से यह सवाल उठता रहा है की जब भी मौजूदा हुकूमत के खिलाफ कोई महाज़ तैयार किया जाता है तो उस इंतिज़ाज मैं मुस्लिम क़यादत की हामी तंज़ीमों को नज़र अंदाज़ क्यों किया जाता है बाज़ तंगज़हन सोचों के हवाले से मुख्तलिफ अक़साम के तंज़ और इल्ज़ामात भी दाग़े जाते रहे है !
मेरा इल्म बौहत महदूद है लेकिन जहां तक मुझे इल्म है की किसी भी इंतिज़ाज की असल बुनियाद की कुछ वुजूहात होती हैं मसलन हम मक़सद होना, हम राए होना या किसी आम दुश्मन के खिलाफ दोस्तों का मुत्तहिद होना वग़ैरा वग़ैरा....
हिंदुस्तान की मौजूदा सियासी ज़मीन पर जो महाज़ तैयार किया गया है या किया जा रहा है उसका ज़ाहिरी मक़सद भाजपा की हुकूमत को हटाकर दूसरी हुकूमत को असरअंदाज़ करना है जिसमें मुख्तलिफ सोच और फ़िक्र की सियासी तंज़ीमें हिस्सा ले रही हैं ! मसलन बसपा जो दलित मुआशरे की फ़लाह के लिए काम करने का दावा पेश करती है या फिर सपा जो यादव मुआशरे की क़यादत करती है लोकदल जो जाट मुआशरे के हक़ और हुक़ूक़ की बुनियाद बनना चाहती है और सबसे ख़ास कांग्रेस जिसकी सोच हर शर्त पर हुकुमरानी है चाहे उसके लिए कोई भी क़ीमत या क़ुरबानी क्यों न देनी पड़े और यही हाल दीगर सूबों की कमोबेश तंज़ीमों का है !
यहां सबका मौकफ एक ही है की भाजपा हटाओ और अपनी हुकूमत क़ायम करो और जो जिस मुआशरे की क़यादत करता है उस मुआशरे की फ़लाह के लिए काम करो अब थोड़ा गौर करिये इस इंतिज़ाज मैं क्या कोई तंज़ीम ये चाहती है की हिन्दुस्तान का मुस्लमान भी तरक़्क़ी करे ? हरगिज़ नहीं ! क्यूंकि अगर मुस्लमान मुआशरे मैं सियासी बेदारी आ गई तो इस महाज़ की कोई भी सियासी तंज़ीम महज़ अपने मुआशरे की बुनियाद पर एक भी सीट जीतने पर क़ासिर हैं ! हर तंज़ीम की बुनियाद हमारी ही सियासी बेशऊरी पर रखी हुई है बिना हमारे वोटों के इनका वुजूद महज़ एक इंतेखाब का मेहमान है !
हुकूमत तो दूर इन तंज़ीमों के सदर भी अपनी सीट नहीं बचा पाएंगे सोचिये वो कोनसी सीट है जहाँ महज़ दलित वोट बसपा को जीता सकता है ? या महज़ यादव सपा को ? कोनसी सीट है जहाँ जाट लोकदल को कामयाबी दिला सकता है ? जनाब याद रखिये मुस्लिम वोटों की तक़सीम और खैरात ही इनके सियासी वुजूद का ज़ामिन है !
इसके बर अक्स कोई भी मुस्लिम क़यादत की हामी तंज़ीम हो ! वो क़ौम मैं इत्तेहाद और वोटों की तक़सीम को रोक कर उन वोटों का जायज़ इस्तेमाल करते हुए मुसलमानों के हक़ और हुक़ूक़ का तहफ़्फ़ुज़ चाहती है
ओर अगर ये महाज़ मुस्लिम क़यादत की हामी तंज़ीमों को अपने साथ लेते हैं तो पहले मक़सद मैं तो कामयाबी मिल जाएगी की मौजूदा भाजपा हुकूमत ज़मीदोज़ हो जाएगी लेकिन इसके बर अक्स ये भी हकीकत है की मुस्लिम क़यादत मज़बूती से खड़ी हो जाएगी और इसका नतीजा यह होगा की अगले इंतेखाब मैं मुस्लिम वोटर मुत्तहिद होकर अपनी क़यादत को वोट करेगा और ये नाम निहाद सेक्युलर और मुस्लिम हमदर्दी का ढोंग पीटने वाली मक्कार तंज़ीमें शिकस्त की दलदल मैं फस जाएंगी !
ज़रा खुद सोचिये एक मर्तबा की कामयाबी के एवज़ मैं ला महदूद शिकस्त कौन पसंद करेंगा ?
यही बुनियाद और वजह है की किसी भी महाज़ मैं मुस्लिम क़यादत को शामिल नहीं किया जाता हालांकि मेरी बात मुकम्मल हो चुकी है लेकिन बोहत कुछ है जो बाक़ी है अल्लाह ने तौफ़ीक़ दी तो अपनी क़ौम की खिदमत मैं बिना किसी ज़बर या ज़ालिम की परवाह किये बगैर हक़ लिखता रहूंगा।
हसबूनल्लाही वनेमल वकील
Anwar Durrani
General secretary
Rashtriye ulema council
Uttar Pradesh
Tuesday, 28 August 2018
Home
/
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल
/
हर तंज़ीम की बुनियाद हमारी ही सियासी बेशऊरी पर रखी हुई है बिना हमारे वोटों के इनका वुजूद महज़ एक इंतेखाब का मेहमान है :- अनवर दुर्रानी महासचिव राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल उत्तर प्रदेश
हर तंज़ीम की बुनियाद हमारी ही सियासी बेशऊरी पर रखी हुई है बिना हमारे वोटों के इनका वुजूद महज़ एक इंतेखाब का मेहमान है :- अनवर दुर्रानी महासचिव राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल उत्तर प्रदेश
About Unknown
Being Well Know Hind Tak.
Hind Tak Is A Popular Social Media Platform, Which Was Launched In 22 May 2017, Hind Tak's Mission Is To Provide All The Latest News Update About Technology And Social Media.
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल
Labels:
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment