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Friday 3 August 2018

जब तक अपने कर्तव्य नहीं समझेंगे जब तक अपने अधिकारों से वंचित रहेंगे :- परवेज़ अहमद आज़मी राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल

#Article_341
हम मुस्लमान अपने अधिकार को पाना तो चाहते है परंतु अपने कर्तव्य निभाना नहीं चाहते
हम मुस्लमान चाहते हैं हमें करना कुछ न पड़े और हर जगह हमारी भागीदारी हो
हम मुस्लमान चाहते हैं हमें घर से निकलना न पड़े और आरक्षण की टोकरी कोई हमारे आँगन में पटख जाये
यह कैसे संभव होगा ???
हम मुस्लमान सिर्फ लीडरों को कोसते रहेंगे या कभी अपने आप से भी कुछ सवाल करेंगे ??
कभी घर से बाहर भी निकलेंगे या फिर घर के अंदर से से ही लानत भेजते रहेंगे
किसी लीडर में उसकी अपनी ताक़त नहीं होती उसके पीछे जितनी बड़ी भीड़ होगी लीडर उतना ही ताक़तवर होगा
कहते तो सब हैं बून्द बून्द से सागर बनता मगर जब सागर बनने की बात आती है तो पीछेै हट जाते हैं
अपने अधिकारों के पाने के लिए आगे तो आना ही होगा
मुसलमानो कान खोलकर सुन लो कोई नहीं आएगा तुम्हारे अधिकारों की टोकरी ले कर तुम्हारे घर
कोई नहीं तुम्हारे आँगन में आरक्षण की टोकरी पटख कर जाने वाला
दूसरों पर ऊँगली उठाने वाले मुसलमानों अपने आप से सवाल क्यों नहीं करते ? सिखों, गुर्जरों ,और पटेलों के आरक्षण पर हाय हाय करने से अच्छा होता तुम भी सिखों ,गुर्जरों और पटेलों जैसा दम ख़म रखते
जबतक अपने कर्तव्य नहीं समझेंगे जब तक अपने अधिकारों से वंचित रहेंगे।
यदि अपनी हिस्सेदारी और आरक्षण चाहते है तो
आइए हमारे साथ 10 अगस्त को दिल्ली जंतर मंतर से लेकर पूरे देश में हम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
ज़िंदा रहना है तो मीर कारवां बनकर रहो ।
इस ज़मीं की पशतियों में आसमां बनकर रहो ।

परवेज़ अहमद आज़मी
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल

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