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Monday 8 October 2018

"सियासतदानों को उस मज़हब के मानने वालों में सैक्युलरिज़म नहीं दिखता जिस मज़हब में आका पैदल चले और ग़ुलाम ऊँट पर !" अनवर दुर्रानी प्रदेश महासचिव राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल

भाजपा को हमेशा मुस्लिम मुआशरे के सामने एक जिन की तरह पेश किया जाता है ! मेरा भी यही मानना है की भाजपा इस मुल्क की बदतरीन पार्टी है !
जिसका सिर्फ और सिर्फ यही मक़सद है की मुस्लमान अपनी शिकस्त तसलीम कर लें और ज़हनी तौर पर खुद को अपने ही मुल्क मैं ग़ुलाम और दोयम दर्जे का शहरी तस्लीम कर लें लेकिन मेरी समझ मैं यह नहीं आता की इस मक़सद पर भाजपा इतनी माथा पच्ची कर क्यों रही है , जबकि यह काम तो खुद हमारे अपने नाम निहाद सैकुलर मुस्लिम नेता गुज़िश्ता सालों से कर ही रहे हैं !
हमारे सैकुलर तंज़ीमों से जुड़े नेता बरसों से यही तो साबित करते आए हैं की मुस्लिम क़यादत बेमानी है , हम मुसलामानों की हिफाज़त ये सेक्युलर तंज़ीमें ही कर सकती हैं , हम मुत्तहिद भी हो गए तो कोई सीट नहीं जीत पाएंगे , मियाँ हमारी तादाद ही कितनी है ? तुम तो फसाद करना चाहते हो , मियाँ अमन की बात करो और सैकुलर तंज़ीमों का साथ दो ! वग़ैरा वग़ैरा
             आप जब भी मुस्लिम क़यादत की बात करेंगे तो गली मोहल्ले के पिछलग्गुओं से लेकर क़ौम के मसीहा कहलाने वाले बड़े नेताओं तक सबकी ज़ुबाँ एक ही तरह के जुमले बोलेगी और मुस्लिम अवाम के हौसलों को शकिस्ता करेगी !
इन्हेँ मुलायम सिंह अजीत सिंह मायावती और राहुल गांधी तो सैकुलर दिखते हैं - लेकिन मोहम्मदवादी मुस्लिम सियासतदां फ़सादी और शर पसंद !
इन सियासतदानों को उस मज़हब के मानने वालों मैं सैक्युलरिज़म नहीं दिखता जिस मज़हब मैं आका पैदल चले और ग़ुलाम ऊँट पर !
आखिर यह हैं कौन से मुसलमान जो यह भी नहीं जानते की इस्लाम मैं ऊँच नीच नहीं है कोई ब्राह्मण और दलित का तसव्वुर नहीं है यहां सब बराबर हैं !इन्हें कौन समझाए की इस्लाम मैं औरतों ताजिरों नौकरी पेशा हद तो यह की दुश्मनों और जानवरों तक के हुक़ूक़ महफूज़ किये गए हैं ! फिर आखिर उस मज़हब के मानने वाले मुस्लिम क़यादत के हामी सैकुलर हैं या इनके शर पसंद नेता ?
यह लोग कैसे भूल जाते हैं की मुसलमान ही वह बहतरीन क़ौम है जिसकी हुकूमत अमन की ज़ामिन है ! लेकिन अफ़सोस के इनके ज़ाती मफाद और ताक़त हासिल करने का जूनून ही इनकी ज़ुबाँ और अम्ल से भाजपा के अज़म की तर्जुमानी करवाती है !
जब हमारे अपने नामनिहाद सैकुलर नेता ही अपने तौर पर मुस्लिम मुआशरे को ज़हनी तौर पर खुद को ग़ैरों की क़यादत मैं गुज़र बसर  और खुद को दोयम दर्जे का शहरी तस्लीम करवाने पर आमादा हैं ! और मुसलमानों को सियासत मैं पीछे धकेलने मैं दिलोजान से महनत कर ही रहे हैं तो भाजपा की बेचैनी बेमानी है !
भाजपा को चाहिए की वह हमें बर्बाद करने की जगह अपने मुआशरे के लिए फलाही कामों पर गौर दे - हमें बर्बाद और ज़हनी ग़ुलाम बनाने के लिए तो हमारे अपने नेता ही बौहत हैं !

Anwar Durrani
State secretry
Rashtriya Ulema Council

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