आज राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल की मासिक बैठक मदरसा जामेअतुर रेशाद की पुस्तकालय कक्ष में हुई। जिसमें पुलिस की कार्यशैली पर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जताया और इनके खिलाफ जल्द ही आंदोलन का बिगुल बजाने का मन बनाया साथ ही अयोध्या मामले में कार्यकर्ताओं को शान्तिब्यवस्था बनाये रखने और 6 दिसम्बर को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूर्व की भांति कार्यक्रम करने की रणनीति तैयार की गयी !
अल्लाह शुक्र है कि लश्करे मीडिया के द्वारा जो अयोध्या का माहौल 1992 की तरह भगवा आतंवादियों के पक्ष बना रही थी और करिवा खब्बीस से लेकर UP , Bihar वालो को मारने वाली पार्टी के अराजकतत्वों व शिवसेनाप्रमुख के हवा निकल गयी साथ ही बाबरी और दादरी के कातिलो का राजनैतिक रंग भी फीका पड़ गया ! ज़ुल्म की पहाड़ तोड़ने की साजिश करने वाले सब्र करने वालों से हार गए अब देखना है कि संविधान , शासन , प्रशासन और कोर्ट की अवहेलना करने वाले हिंदूवादी संगठनों और भगवा आतंकवादियों पर कौन सा कानूनी कार्यवाही हो रहा है एक बात समझ मे नही आयी कि सुप्रीम कोर्ट इतने सेन्सटिव मामले को किस दबाव में संज्ञान में नही ली।
नूर हक़ शम्मे इलाही को बुझा सकता है कौन
अरे जिसका हामी हो ख़ुदा उसको मिटा सकता है कौन
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