Breaking

Wednesday 17 January 2018

आधार से सम्बंधित याचिका पर आज सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई थी उसके कुछ अंश ।


तलहा रशादी
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्रीय उलेमा कौन्सिल
श्याम दीवान (वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट) - 2012 में बहुत से नागरिकों ने आधार योजना के खिलाफ जनहित याचिका डाली, जब मामला दो जजों की बेंच में गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी नागरिक को आधार कार्ड ना होने के कारण कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। 2014 में यूआईडीएआई ने खुद बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले( जिसमें एक अपराधिक मामले में बायोमीट्रिक का खुलासा करने का आदेश दिया था) के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। बहुत सी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आधार को स्वैच्छिक रुप से लागू करने का अंतरिम आदेश जारी किया। 15 अक्टूबर 2015 से इस योजना को आंशिक रूप से विस्तार दिया गया, 2016 में आधार अधिनियम पास किया गया और 2017 आते-आते लगभग सभी जगह इसे अनिवार्य कर दिया गया। आयकर कानूनों में आधार को लेकर संशोधन किये गये, बैंक खातों, बीमा योजना, म्यूचुअल फंड्स, जीने मरने सभी के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया, आज ये स्थिति कर दी गयी है कि एक बार बिना आक्सीजन के शायद आप जिंदा रह जायें लेकिन बिना आधार जीवन की परिकल्पना भी संभव नहीं है।

#सुप्रीमकोर्ट_लाइव
#आधार_निराधार
कर्टसी- अभिषेक अजात

No comments:

Post a Comment