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Friday 12 October 2018

आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है, पूरी दुनिया  की तस्वीर बदल सकता है । हारून रशीद

हारून रशीद,

एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले,
मैंने  मंज़िल  को  तलाशा  मुझे  बाज़ार  मिले

ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है?

अपनी क़यादत अपना रहबर यदि खड़ा करना है तो उसके लिए क़ौम के हर फ़र्द को एक ज़िम्मेदार, हमदर्द, मेहनती, ईमानदार, हक़परस्त इंसान बनना होगा, इतना ही नहीं उसे अपनी जेब से सौ पचास ख़र्च भी करने पड़ेंगे ।

इंसानों की फ़ितरत है कि वो अपने परिवार अपने घर से बेहद प्रेम करता है, क्यूंकि वो अपने परिवार और घर के लिए ख़ून और पसीना बहाता है, उसी के लिए वो सात समुंदर पार भी वर्षों गुज़ार देता है, तमाम मुसीबतों, कठिनाइयों का सामना कर के ही वो अपने सपनों का घर परिवार बनाता है, और परिवार में एकजुटता रहे, मोहब्बत रहे और दूसरे लोग उससे प्रेरणा लें तो उसकी एख़लाक़ के पानी से रोज़ाना सींचाई करता है और यदि ज़रा भी घर परिवार गड़बड़ हो तो उसे बेहद तकलीफ़ होती है लेकिन फिर भी वो उसे बेहतर से बेहतर बनाने में पूरी ज़िंदगी लगा देता है।

आओ अपनी क़यादत के लिए अपने घर परिवार बनाने की तरह ईमानदारी, लगन से मेहनत की जाए, चार नहीं तो दो बूंद हर रोज़ पसीना बहाया जाए, बारह आना नहीं तो कम से कम चार आना ही ख़र्च किया जाए, ज़्यादा उतवालापन दिखाने, ख़ुद का गुणगान कर दूसरों पर तंज़ करने से रत्ती भर नहीं फ़र्क़ पड़ेगा, मज़बूत इरादा करो .. नेक इरादा ।

आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है,
पूरी दुनिया  की तस्वीर  बदल सकता है।

आदमी सोच तो ले, उसका इरादा क्या है?

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